Friday, February 23, 2024

किश मिश

ज़िन्दगी में कभी ऐसी
फिर से आतीश नहीं होती (आतिश = light)
तुझको पा ही लेते गर हम 
फिर ये ख़्वाहिश नहीं होती (ख़्वाहिश = desire)

इश्क़ में बादल बारिश की
आज़माइश नहीं होती (आज़माइश = test)
शायरी फिर भी कर लेता
ऐसी कोशिश नहीं होती 

तू अगर मेरे ख़्वाबों में 
सारी गर्दिश नहीं होती (गर्दिश = rotation, everywhere)
शेर तुझपे तो पढ़ देता 
ऐसी लर्ज़िश नहीं होती (लर्ज़िश = vibrato)

सोच अपने सफर में गर 
ऐसी बंदिश नहीं होती (बंदिश = restriction)
खीर में सब कुछ तो होता 
मगर किश मिश नहीं होती 

वो भी है

ज़र्रा ज़र्रा बोलता है 
एक है तू दो भी है 
कश-म-कश कैसी है तेरी 
मैं अगर हूँ वो भी है 

वो न होता तो ख़ुदाया 
ख़ाब कैसे देखता 
ख़ाब ये तेरे नहीं हैं 
ख़ाब तेरे जो भी हैं 

तुझमें जो मय🍷 की तरह है 
मैं😠 भी तेरा है ख़ुदा 
मय🍷 में भी मैं😮 ही बसा है 
क्या पता तुझको भी है?

दिल दिया है जाँ भी दी है 
सांस दी है आस भी 
रह गया एहसास देना 
ये गिला उसको भी है 

क्या हुआ?

मैं ख़ुद को ना हुआ तो क्या हुआ 
मैं ख़ुद को ही हुआ तो क्या हुआ 
मैं ख़ुद से हूँ जुदा तो क्या हुआ 
मैं ख़ुद ही ना हुआ तो क्या हुआ 

ये समझाना हुआ तो क्या हुआ 
जो सोचा ना हुआ तो क्या हुआ 
जो कुछ भी ना हुआ तो क्या हुआ
ना समझी से हुआ तो क्या हुआ 

मैं तेरा ना हुआ तो क्या हुआ 
तू मेरा ना हुआ तो क्या हुआ 
बस हो के जो हुआ तो क्या हुआ
जो दिल से ना हुआ तो क्या हुआ

ना मेरा हो निशाँ तो क्या हुआ 
अब मैं हूँ गुमशुदा तो क्या हुआ
क्या हुआ? 😅

हक़ीक़त

(wellness industry)

जिन समाजों में हम तुम रोज़ जिए जाते हैं 
जीने के नाम से मोहताज किये जाते हैं 
इलाज-ए-ज़िन्दगी सुन रखी थी कभी लेकिन 
यहाँ लाशों के भी इलाज किये जाते हैं 

(reality shows industry)

कहीं तफ़्री की खातिर नाज़ किये जाते हैं 
उन्हीं नाज़ों के फिर रिवाज़ किये जाते हैं 
जब किसी साज़ से बहलता नहीं दिल सबका 
बे आबरू सारे जज़्बात किये जाते हैं 

(elective politics)

हम कहाँ बेवकूफियों से बाज़ आते हैं 
रेहनुमा ढूंढते ऐसे ही चले जाते हैं 
बे-अकल मिल भी जाते हैं यूँ नवाज़िश के लिए 
बेवकूफों के ये सरताज किये जाते हैं  

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है  कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको  जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ    क्या ख़बर कौन से प...