अब कोई फ़िक्र नहीं है
के वो क्या कहते हैं
भला वो कहते भी हैं या
वो बुरा कहते हैं
वो कहें कुछ भी मगर
ये बात तो लाज़िम है
लोग अक्सर ही
कुछ भी सोचे बिना कहते हैं
दाग़ अच्छे हैं अगर
हो किन्हीं ज़ख्मों के
तेरे इस वादा खिलाफ़ी को
दग़ा कहते हैं ... लोग अक्सर ही
कड़ी सी धूप में
जल जाते हैं जब जिस्म-ओ-हया
दरख़्त कोई भी हो
उसको पनाह कहते हैं ... लोग अक्सर ही
कौन आता है यहाँ सुनने
मेरे शेर-ओ-ग़ज़ल
लोग अपनी सी लगी बात पे
वाह कहते हैं ...
कुछ भी सोचे बिना कहते हैं
de de Dum, Dum, de de Dum Dum
de de Dum, Dum Dum Dum
de Dum, de, de de de, Dum, da Dum
de de Dum, de de Dum, Dum
de de Dum, Dum de de Dum
Dum de da Dum da de
Dum de, Dum Dum de,
Dum de, Dum da da Dum, de de Dum, Dum