तेरे यादों की चादरें घेरी
आँख धुंधली सी हो गई मेरी
दिल सराबों में आब ढूंढे है
तिश्नगी मिट नहीं रही मेरी
ये अक्ल है के भूलना चाहे
दिल की धड़कन में हो रही देरी
आ गया फिर से प्यार का मौसम
छिल गए घाव पक गई बेरी
तेरे रस्ते की ताक में शायद
आँख पत्थर की हो गई मेरी
तुम ही तुम हो सांस में अब तो
सांस लेकिन न आ रही मेरी
तेरे यादों की चादरें घेरी
आँख धुंधली सी हो गई मेरी
दिल सराबों में आब ढूंढे है
तिश्नगी मिट नहीं रही मेरी