Monday, February 05, 2024

तिश्नगी

तेरे यादों की चादरें घेरी 
आँख धुंधली सी हो गई मेरी 
दिल सराबों में आब ढूंढे है 
तिश्नगी मिट नहीं रही मेरी 

ये अक्ल है के भूलना चाहे 
दिल की धड़कन में हो रही देरी
आ गया फिर से प्यार का मौसम
छिल गए घाव पक गई बेरी 

तेरे रस्ते की ताक में शायद 
आँख पत्थर की हो गई मेरी
तुम ही तुम हो सांस में अब तो
सांस लेकिन न आ रही मेरी 

तेरे यादों की चादरें घेरी 
आँख धुंधली सी हो गई मेरी
दिल सराबों में आब ढूंढे है
तिश्नगी मिट नहीं रही मेरी 


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