Friday, January 12, 2024

कभी याद रखना कभी भूल जाना

समा वादियां दिल मुहब्बत फ़साना
ये बातें ज़रा तुम फिर आज़माना 
ज़रूरी नहीं है तुम्हारी परस्तिश 
कभी याद रखना कभी भूल जाना 

सितारों से लढ़ना बहारें लुटाना
अगर हार जाएँ निगाहें चुराना 
जो हारे हुए हों उन्हें भी जिताकर 
कभी याद रखना कभी भूल जाना 

वो दिन याद आते हैं जब ज़िन्दगी के 
वो लम्हे जिन्हें साथ रखना किसी के 
किसी बात पे बेवझा तिलमिलाना 
कभी याद रखना कभी भूल जाना 

जो कहता है दिल वो ज़ुबान बोलती है
है शायर का दिल कुछ कहाँ तोलती है
ज़रूरी नहीं इनको दिल से लगाना
कभी याद रखना कभी भूल जाना

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