समा वादियां दिल मुहब्बत फ़साना
ये बातें ज़रा तुम फिर आज़माना
ज़रूरी नहीं है तुम्हारी परस्तिश
कभी याद रखना कभी भूल जाना
सितारों से लढ़ना बहारें लुटाना
अगर हार जाएँ निगाहें चुराना
जो हारे हुए हों उन्हें भी जिताकर
कभी याद रखना कभी भूल जाना
वो दिन याद आते हैं जब ज़िन्दगी के
वो लम्हे जिन्हें साथ रखना किसी के
किसी बात पे बेवझा तिलमिलाना
कभी याद रखना कभी भूल जाना
जो कहता है दिल वो ज़ुबान बोलती है
है शायर का दिल कुछ कहाँ तोलती है
ज़रूरी नहीं इनको दिल से लगाना
कभी याद रखना कभी भूल जाना
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