Tuesday, November 15, 2022

लेकिन तेरे खतों का इंतज़ार है मुझे

तुझको भुला दिया ये ऐतबार है मुझे 
लेकिन तेरे खतों का इंतज़ार है मुझे 

ग़ाफ़िल हूँ क़ायनात से फिरता हूँ दर-बदर 
शायद तेरी आँखों से बोहोत प्यार है मुझे 

कहते हैं दुआओं का असर काम आएगा 
क़ुरबत भी तो यारों की अब नाचार है मुझे 

सोचा था तेरी याद को ख़ाबों में दूँ मज़ार 
आँखों में बसी नींद भी बेदार है मुझे 

कहती है ज़ुबाँ दिल की ज़रा दिल से काम ले 
मैं जानता हूँ दिल पे अख्तियार है मुझे 

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

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