Monday, November 28, 2022

सुनता हूँ तुझसे दूर हूँ बोहत

सुनता हूँ तुझसे दूर हूँ बोहत 
हालातों से मजबूर हूँ बोहत 
ज़माने को बड़ी फ़िक्र है मेरी
कहते जो हैं मग़रूर हूँ बोहत 

तेरे बारे में सुनता रहा 
इनके ख़ाबों को बुनता रहा 
बस तेरी मेरी दास्ताँ से ही 
इन गलियों में मशहूर हूँ बोहत 

तुम जाने कब ना जाने कहाँ 
मेरी दुनिया कहकर अलविदा 
मुझको भी अपने संग ले गए 
खुद मैं खुद से अब दूर हूँ बोहत 

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