Sunday, February 11, 2024

ख़याल मेरे

कहीं तो ले चलो ख़याल मेरे 
कोई न ले जहां बयान मेरे 
ऐसा भी तो कोई मंज़र हो 
जवाब उनके हों सवाल मेरे 

किन चराग़ों की बात करते हो 
ये नहीं ये नहीं मक़ान मेरे 

सुर्ख़ कलियों ने हमसे ये पूछा ....... (सुर्ख़ = लाल)
कैसे लगते हैं ये जमाल मेरे ....... (जमाल = सुंदरता)

वो ज़माने भी याद आते हैं 
रुख़ पे रखते थे वो गुलाब मेरे 

लूट कर कैद कर लिया इन ने ....... (इन ने = इन्होंने)
नैन लगते हैं ये इजाज़ तेरे ....... (इजाज़ = चमत्कार)

ये न पूछो कि मेरे क्या तुम हो 
ज़िन्दगी हो मेरे जहान मेरे 

ऐसा भी तो कोई मंज़र हो 
जवाब उनके हों सवाल मेरे 

कहीं तो ले चलो ख़याल मेरे 
कोई न ले जहां बयान मेरे 
ऐसा भी तो कोई मंज़र हो 
जवाब उनके हों सवाल मेरे 

No comments:

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है  कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको  जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ    क्या ख़बर कौन से प...