मैं तो पीता हूँ आब जीने को
और जीता शराब पीने को
बोतलें जब मुझे पी लेती हैं
शक्ल देता हूँ मैं नगीने को
भीड़ इतनी भी ना करो मिलकर
सांस थोड़ी मुझे भी, जीने को
जब तलक मौत ख़ुद नहीं आती
किसने देखा है ख़ुद सक़ीने को ...... (सक़ीना = शांति)
वो तो कहता है तू ज़हीन कहाँ ...... (ज़हीन = प्रतिभावान)
कोई समझाए इस कमीने को 😁
मैं तो पीता हूँ आब जीने को
और जीता शराब पीने को
बोतलें जब मुझे पी लेती हैं
शक्ल देता हूँ मैं नगीने को
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