Saturday, February 19, 2022

काश

काश के जो हूँ, मैं न होता
काश के जो हो, तुम न होते 

काश कुछ बक़ाया न होता 
काश गुल, खिले ही न होते 

काश के वो, दरीचा न होता 
काश के वो, झरोखे न होते

काश मेरा, छुपना न होता 
काश तुम, पकड़ते न होते 

काश मैं बुलाता न होता 
काश तुम, रुके ही न होते 

काश वो, नज़र भी न होती 
काश दिल, धड़कते न होते 

काश वो, लिखावट न होती 
काश कोई, ख़त भी न होते 

काश उम्मीदें न होती 
काश ये, सिले भी न होते 

काश ऐसा, कुछ भी न होता
ताश ये, खुले ही न होते 

काश कोई, दामन न होता 
काश सर, टिके ही न होते 

काश वो, तारीख न होती 
ज़ख्म ये, छिले भी न होते 

काश कोई, गिला भी न होता 
फिर जो हम, मिले ही न होते 

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