काश के जो हो, तुम न होते
काश कुछ बक़ाया न होता
काश गुल, खिले ही न होते
काश के वो, दरीचा न होता
काश के वो, झरोखे न होते
काश मेरा, छुपना न होता
काश तुम, पकड़ते न होते
काश मैं बुलाता न होता
काश तुम, रुके ही न होते
काश वो, नज़र भी न होती
काश दिल, धड़कते न होते
काश वो, लिखावट न होती
काश कोई, ख़त भी न होते
काश उम्मीदें न होती
काश ये, सिले भी न होते
काश ऐसा, कुछ भी न होता
ताश ये, खुले ही न होते
काश कोई, दामन न होता
काश सर, टिके ही न होते
काश वो, तारीख न होती
ज़ख्म ये, छिले भी न होते
काश कोई, गिला भी न होता
फिर जो हम, मिले ही न होते