Tuesday, November 29, 2022

तुमने भी शायद है मुझे याद किया

तेरा तस्सवुर फिर मुराद किया 
बेतहाशा ये बरसों बाद किया 
बेसबब बढ़ गई रफ़्तार दिल की 
तुमने भी शायद है मुझे याद किया 


Monday, November 28, 2022

सुनता हूँ तुझसे दूर हूँ बोहत

सुनता हूँ तुझसे दूर हूँ बोहत 
हालातों से मजबूर हूँ बोहत 
ज़माने को बड़ी फ़िक्र है मेरी
कहते जो हैं मग़रूर हूँ बोहत 

तेरे बारे में सुनता रहा 
इनके ख़ाबों को बुनता रहा 
बस तेरी मेरी दास्ताँ से ही 
इन गलियों में मशहूर हूँ बोहत 

तुम जाने कब ना जाने कहाँ 
मेरी दुनिया कहकर अलविदा 
मुझको भी अपने संग ले गए 
खुद मैं खुद से अब दूर हूँ बोहत 

Sunday, November 20, 2022

साजन आओ रे आओ रे

खुद से जब बातें करूँ
तो तुझको ही पाया करूँ
तू लेके आती है मिलन के रेले रे (रेले = उत्कंठा)

आंच तू मेरे फज़ल की (फज़ल  = grace, divine, शालीनता)
रूह तू मेरे ग़ज़ल की 

क्यूँ अधूरी बात तू ना छेड़े रे 

मीठी सी ये सज़ा है 
दर्द में भी रज़ा है 

तेरी जुदाई भी लुभाये रे 

साजन आओ रे आओ रे 
साजन आओ रे आओ रे
प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थैया ता थैया थई
ता थैया थैया ता थैया थई

रे साजन आओ रे आओ रे 
मन जा भिगाओ रे आओ रे 
की है दिल की सगाई
जो प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थैया ता थैया थई
ता थैया थैया ता थैया थई


रात हो या दिन हो तेरी याद में पड़ता 
मैं ख्यालों से ही तेरे बात हूँ करता 

तेरी बोलती आँखें करें कितनी ही बातें 
हर बात में तू याद आती है 

रे साजन आओ रे आओ रे 
मन जा भिगाओ  रे आओ रे 
प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थैया ता थैया थई
ता थैया थैया ता थैया थई

रे साजन आओ रे आओ रे 
मन जा भिगाओ रे आओ रे 
की है दिल की सगाई
जो प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थई ता थैया थई
ता थैया थई ता थैया थई

यादों के दरख़्त पे 
आये फूल रे नए 

तू आये तो दुनिया में 
आई बहार रे 

सपना आशा मन्शा 
छोड़ दूँ पाकर तुझे 

तू आये तो दुनिया को
छोड़ दूँ रे मैं 

दुनिया को
छोड़ दूँ रे मैं


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मैं मुझे खोजा करूँ मैं 
पर तुझे पाया करूँ 

तू लेके आती है लगन के मेले रे 

आंच तू मेरे फज़ल की 
रूह तू मेरे ग़ज़ल की 

क्यूँ अधूरी बात तू न छेड़े रे 

मीठी सी ये सज़ा है 
दर्द में भी मज़ा है 

तेरी जुदाई भी लुभाये रे 

साजन आओ रे आओ रे 
साजन आओ रे आओ रे
प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थैया ता थैया थई
ता थैया थैया ता थैया थई

रे साजन आओ रे आओ रे 
मन जा भिगाओ रे आओ रे 
की है दिल की सगाई
जो प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थैया ता थैया थई
ता थैया थैया ता थैया थई


रात हो या दिन हो तेरी याद में पड़ता 
मैं ख्यालों से ही तेरे बात हूँ करता 

तेरी बोलती आँखें करें कितनी ही बातें 
हर बात में तू याद आती है 

रे साजन आओ रे आओ रे 
मन जा भिगाओ  रे आओ रे 
प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थैया ता थैया थई
ता थैया थैया ता थैया थई

रे साजन आओ रे आओ रे 
मन जा भिगाओ रे आओ रे 
की है दिल की सगाई
जो प्रीत तुझसे लगाईं 

ओ ता थैया थई ता थैया थई
ता थैया थई ता थैया थई

यादों के दरख़्त पे 
आये फूल रे नए 

तू आये तो मेरी दुनिया में 
चाँदनी उगे 

सपना आशा मन्शा 
छोड़ दूँ पाकर तुझे 

तू आये तो मेरी दुनिया में 
चाँदनी उगे 

दुनिया में 
चाँदनी उगे 

Tuesday, November 15, 2022

लेकिन तेरे खतों का इंतज़ार है मुझे

तुझको भुला दिया ये ऐतबार है मुझे 
लेकिन तेरे खतों का इंतज़ार है मुझे 

ग़ाफ़िल हूँ क़ायनात से फिरता हूँ दर-बदर 
शायद तेरी आँखों से बोहोत प्यार है मुझे 

कहते हैं दुआओं का असर काम आएगा 
क़ुरबत भी तो यारों की अब नाचार है मुझे 

सोचा था तेरी याद को ख़ाबों में दूँ मज़ार 
आँखों में बसी नींद भी बेदार है मुझे 

कहती है ज़ुबाँ दिल की ज़रा दिल से काम ले 
मैं जानता हूँ दिल पे अख्तियार है मुझे 

Monday, November 07, 2022

मेरे ख़ुदा तू ही बता (Geet)

किसे बताएं के क्या हो रहा अपने संग वाक्या
कोइ छुअन सी लगे जब भी चलती है कभी हवा
किसी को देखने लगे हैं हम जब देखें आइना

मेरे ख़ुदा ऐ ख़ुदा खुद आ के तूही बता
तू ही बता क्या इस रोग की होती है कहीं दवा

बेवजह है धड़कनों का ये कैसा सिलसिला 
लगता के शिद्दतों से है किसी ने याद किया 
किसी तरह से चले पता के ये क्या है माजरा 

मेरे ख़ुदा ऐ ख़ुदा खुद आ के तूही बता
तू ही बता क्या इस रोग की होती है कहीं दवा

नाही लिखना कोई पैग़ाम ना ही नाम किसी का 
किसी अलफ़ाज़ पे कारीगरी कर देते क्यों हैं मिटा 
कोई फ़रियाद नहीं अब याद माँगूँ ना कोई दुआ  

मेरे ख़ुदा ऐ ख़ुदा खुद आ के तूही बता
तू ही बता क्या इस रोग की होती है कहीं दवा

Saturday, November 05, 2022

जाने क्यूँ ऐसा ही होता है


जाने क्यूँ ऐसा ही होता है अपना मंज़र
मिलना पड़ता है उन्हें जो नहीं होते हम-सर

ज़िन्दगी लाती है किस्मत में हमारी उनको
जो नहीं होते अपनी किस्मत में अक्सर 

जिसकी शिद्दत से होती है रौशनी दिल में
वो बुझा जाता है चराग़-ए-दिल अक्सर 

मिलना जुलना तो होता ही है तुममे मुझमें 
दिल कहीं होता है, होता है कहीं पर पैकर 

दिल में रहते तो हो क़िस्मत में भी लाकर देखो 
क्या पता उड़ना जो चाहो तो निकल आएं शहपर 

ख़ुशनुमा गीत अब गाना शुरू तुम कर दो 
कोई उदास सा हो जाता है ये हमसे कहकर 

ज़िन्दगी लाती है किस्मत में हमारी उनको
जो नहीं होते अपनी किस्मत में अक्सर 

Tadap Tadap ke is dil se aah


Thursday, November 03, 2022

क्या पता उनको

अब तो यादों में खाब सीते हैं क्या पता उनको कैसे जीते हैं

ये पता था के वो ना आयेंगे

इंतेज़ार फिर भी करते जीते हैं 


रात की बात क्या बताऊँ तुम्हें 

बेकरारी में दिन भी बीते हैं 


सब्र की हद तो कब की लाँघ चुके

कहते हैं लम्हें चंद बीते हैं 


क्या वो कहते हैं इसको तन्हाई 

भीड़ में ग़म के आँसू पीते हैं 


अब तो यादों में खाब सीते हैं

क्या पता उनको कैसे जीते हैं


Friday, October 28, 2022

Yeh kya ehsaas hai (ये क्या एहसास है)

ये क्या एहसास है

के तू मेरे पास है

यूं तो एहसास हैं अनगिनत

मगर ये खास है


ये क्या एहसास है

ज़मीं आकाश है

हवाओं में तेरी ख़ातिर

कोई विश्वास है


ये क्या एहसास है

क्यूं तेरी आस है

तुझे क्या याद अब हूँ मैं

ये कैसी प्यास है


ये क्या एहसास है

जो अब तक काश है

क्यू मेरी सांसों मे उल्झी तेरी ये सांस है

Tuesday, March 22, 2022

ज़िंदगी तो इक सफ़र है

ज़िंदगी तो इक सफ़र है हर सफ़र है मुख़्तसर 

ना करो शिक़वा शिक़ायत हम सभी हैं हमसफ़र


हर किसी की ज़िंदगी में हो भले इक सी डगर

हर सफ़र की हर डगर में मुख़्तलिफ़ सा है असर


वो नज़र भी क्या नज़र है जो मिलाए ना नज़र

वो क़दम भी क्या क़दम हैं जो बढ़ाये ना क़दम 

किसको सिखलाने चले हो कौन है मुजरिम तेरा 

खुद को आइना दिखा ले खुद से हो जा हम-नज़र


लोच सा रिश्तों में रखना कर अहम को अलविदा

बांध कर रिश्तों को रखना न रहे कोई कसर

कह जो तेरे दिल में है दिल को छुपाना ना कभी

क्या पता किस पल में खो जायेगा तेरा हमसफ़र


तल्ख़ियाँ उठती हैं बेशक उठ के फिर जाती भी हैं

रोक लो ख़ुद को कभी जब तल्ख़ियों का हो असर

ना करो लहरों से बातें जब भी हो दिल में भंवर

वरना पछताना पड़ेगा तुमको गोया उम्र भर 


ज़िंदगी में हर किसी के नज़रिए की बात कर

हर कहानी सीख ये देती है के बस प्यार कर

यूं तो हर जज़्बा हर एक हरकत है खुद में फ़लसफ़ा 

तजरुबा जो मेरा पूछो प्यार ही है कारगर


हर बेहेर की ज़िन्दगी है सोचने की मोहलतें 

हर ज़हन की ज़िन्दगी है तजरुबों की दौलतें 

सुन के चंद शेरों को वाहवाई मिली तो क्या विवेक 

दिल धड़कता है तो समझो बन गई अपनी ग़ज़ल 


ज़िंदगी तो इक सफ़र है हर सफ़र है मुख़्तसर 

ना करो शिक़वा शिक़ायत हम सभी हैं हमसफ़र

Saturday, February 19, 2022

काश

काश के जो हूँ, मैं न होता
काश के जो हो, तुम न होते 

काश कुछ बक़ाया न होता 
काश गुल, खिले ही न होते 

काश के वो, दरीचा न होता 
काश के वो, झरोखे न होते

काश मेरा, छुपना न होता 
काश तुम, पकड़ते न होते 

काश मैं बुलाता न होता 
काश तुम, रुके ही न होते 

काश वो, नज़र भी न होती 
काश दिल, धड़कते न होते 

काश वो, लिखावट न होती 
काश कोई, ख़त भी न होते 

काश उम्मीदें न होती 
काश ये, सिले भी न होते 

काश ऐसा, कुछ भी न होता
ताश ये, खुले ही न होते 

काश कोई, दामन न होता 
काश सर, टिके ही न होते 

काश वो, तारीख न होती 
ज़ख्म ये, छिले भी न होते 

काश कोई, गिला भी न होता 
फिर जो हम, मिले ही न होते 

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है  कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको  जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ    क्या ख़बर कौन से प...