ये क्या एहसास है
के तू मेरे पास है
यूं तो एहसास हैं अनगिनत
मगर ये खास है
ये क्या एहसास है
ज़मीं आकाश है
हवाओं में तेरी ख़ातिर
कोई विश्वास है
ये क्या एहसास है
क्यूं तेरी आस है
तुझे क्या याद अब हूँ मैं
ये कैसी प्यास है
ये क्या एहसास है
जो अब तक काश है
क्यू मेरी सांसों मे उल्झी तेरी ये सांस है
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