दिल की ये धड़कन इबादत सी है
और तेरी मुरादें इनायत सी है
ज़िंदा तो वैसे भी रह लेते हम
पर दिल को धड़कने की आदत सी है
बातें करूँ दिन की रातें करूँ
मेरा बस चले तो मैं क्या न करूँ
लगता है कोई विरासत सी है
यूँ के दिल को धड़कने की आदत सी है
मुझे महफिलों की तो ख्वाहिश नहीं
महफिलों के ख़ुदा की नवाज़िश नहीं
तू जो नहीं तो हरारत सी है
मेरे दिल को धड़कने की आदत सी है
तू नहीं कुछ नहीं ऐसा भी तो नहीं
आज तू न सही तेरी यादें सही
दिल में मेरे तू हिफाज़त सी है
इस दिल को धड़कने की आदत सी है
देख बेचैनी है शाम से ही मुझे
एक पैग़ाम भेजा है मैंने तुझे
दिल में कसक सी शरारत सी है
यूँ ही दिल को धड़कने की आदत सी है