Sunday, February 18, 2024

क़ता - लापता

सितारों से पूछा था इक दिन किसी ने 
के क्यूँ आसमानों में यूँ तैरते हो 
सितारों ने पूछा उसे ही पलट कर 
ज़मीं पे हो फिर भी ये क्या घूरते हो?

किसी से भी पूछो तमन्नाएँ दिल की (तमन्ना = desire)
किसी से भी पूछो के क्या चाहते हो 
किसी को नहीं है पता ख़ुद की ख़्वाहिश (ख़्वाहिश = will)
बताएँगे वो जो सभी चाहते हों 

ये जन्नत की हूरें ये दोज़ख़ की बातें (दोज़ख़ = hell)
किन्हें क्या मिला है किसे ये पता है
जो दो प्यार के बोल कहता हो तुमसे
उसे ही इलम है वही जानता है (इल्म = knowledge)

है तस्वीर तेरी मेरे आईने में 
ये क्या गुफ़्तगू है ये क्या माजरा है (गुफ़्तगू = conversation)
ये पूछूँ मैं तुमसे जो दे दो इजाज़त
के ऐसा मेरा तुझसे क्या राब्ता है 

भटकते हैं हम-तुम यूँ ही इस जहाँ में 
न तेरी ख़ता है न मेरी ख़ता है (ख़ता = fault)
हमें हिक़मतों का सबक़ देने वाले (हिक़मत = ज्ञान, wisdom)
न जाने किधर हैं कहाँ लापता हैं 



कोहिनूर

हुस्न तेरा ये कोहिनूरी है 
अब्र की शिद्दतें भी पूरी हैं .... (अब्र = बादल, शिद्दत  = intensity)
दिल संभाले तो कोई कैसे बता 
कुछ तो कहना तुझे ज़रूरी है 

ये चमक है तेरा सुरूर-ए-नशा  .... (सुरूर = toxic)
आँख तेरी ये चश्म-ए-नूरी है  .... (चश्म-ए-नूरी = प्रकाश सी नज़र )
देख अपनी नज़र को देख ज़रा
देख इनको ये भूरी भूरी हैं

मुस्कराहट से काम चलता है 
रुख़ पे तेरे हंसी अधूरी है (रुख़ = चेहरा)
मिलने आये हो कुछ तो बात करो 
बात करना भी तो ज़रूरी है  

कुछ भी करवा ले आज तेरा शबाब 
आज की रात भी सिन्दूरी है 
इम्तेहां लोगे कोई बात नहीं 
हाथ कंगन को कितनी दूरी है 

बात की बात भूलने वाले 
झूठ इतना भी क्या ज़रूरी है 
बक़्श दो अर्ज़ मेरे शेरों को 
मेरी ग़ज़ल अभी अधूरी है 

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

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