ये रफ़्तारें
न आँखों से न बातों से
न मदहोशी की रातों से
न खुशबू की अदाओं से
ज़हन के पार गाहों से
याद करता है जब कामिल
बता देती हैं रफ़्तारें
ये रफ़्तारें, रग़ों में दौड़ जाती हैं रफ़्तारें
कभी हौले, कभी हौले से बढ़ जाती हैं रफ़्तारें
लहू में खेलती है झेलती है ज़िन्दगी को रेलती है
क्या न करवाती हैं रफ़्तारें
ये रफ़्तारें, धड़क जाती हैं रफ़्तारें
कभी ये प्यार की शक्लों में आती है
कभी डर से ये रंजों को जगाती है
कभी ज़िंदा कभी है मौत की आहट में रफ़्तारें
ये रफ़्तारें, कहीं ये खिलखिलाती हैं
ये रफ़्तारें, कहीं ताक़त दिखाती हैं
सिसकती हैं थका जाती हैं रफ़्तारें
बता देती हैं रफ़्तारें
याद करता है जब कामिल
ज़हन के पार गाहों से
न खुशबू की अदाओं से
न मदहोशी की रातों से
न आँखों से न बातों से
ये रफ़्तारें