Friday, January 19, 2024

कल-क़ता

मैं तो पीता हूँ आब जीने को 
और जीता हूँ शराब पीने को 
बोतलें जब मुझे पी लेती हैं 
शक्ल देता हूँ मैं नगीने को 

================================

कहता हूं लफ़्ज़ उसके, जिसने है डाली जान
दिल में आ जाती बातें, कह जाती है ये जुबां
कितना भी लिख, दीवारों पे, मिट जायेंगे ये निशान
मैं कम कहता हूं, लेकिन मेरी कुछ बातें तो मान

=================================

कहते हैं बात अपनी हम अपनी इस क़ता से 
अक्सर सीखा है हमने ठोकर खाकर जहां से 
बैठे जब महफिलों में कहने को दिल की बातें 
वा-वाही लूटी हमने दर्दों की दास्ताँ से 

========================

आँखों से बोल देना दिल से कुछ सुन लेना
मेरे ख़यालातों से कुछ सपने बुन लेना 
लफ़्ज़ों की बंदिशों को अच्छी सी धुन देना 
दिल की धड़कन सुनते ही ये गीत चुन लेना 

========================

हाथों की रौशनी ने चेहरे को जगमगाया 
मैं सबको भूल बैठा तू मुझको याद आया 
वो सपना ही था शायद हाँ सपना ही था छाया 
तू सबको भूल बैठा मैं तुझको याद आया 

========================

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है  कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको  जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ    क्या ख़बर कौन से प...