Thursday, January 11, 2024

इन्सान

इन्सान... ज़ेहन से जो आवारा

ये खुद भी है कठपुतली

खुद इसे क्या पता


बेजान जिस्म में जो है जान

कहां से आती है

खुद इसे क्या पता


जाने क्या ढूंढता है दिल

किसकी ख्वाहिश में है शामिल

किन तलाशों में गुम है ये

खुद इसे क्या पता


ख़ुशी किसमें ये ढूंढे है

सुकूं किसको ये समझे है

कहीं मिलते भी हैं क्या ये

खुद इसे क्या पता


सांस आती और जाती है

जाने क्या कुछ करवाती है

जिंदगी किसको कहते हैं

खुद इसे क्या पता


ख़ुदा का नाम देता है

ख़ुदा का नाम लेता है

मगर खुद में क्या रखा है

ये क्या पता


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