Thursday, January 11, 2024

नज़र लग जाती है

नज़र से बच के ज़रा हां!! नज़र लग जाती है

कोई बेहद सी हुई बात

जब नज़र आती है


तेरे आग़ोश में आकार

और कुछ देर बहला कर

तुझको बेहोश कहला कर

वो सरक जाती है


नज़र से बच के ज़रा ...... 


कोई हमदम नहीं तो क्या

कोई मेहरम नहीं तो क्या

सांस ज़िंदा तुझे रखने 

तो चली आती है


नज़र से बच के ज़रा ...... 


कुछ यहां छुप नहीं सकता

तू छुपा कुछ नहीं सकता

मुश्क सौ तालों में तो क्या

वो महक जाती है

नज़र से बच के ज़रा ...... 


मैंने देखे हैं ऐसे दिल

लगते हमदर्द हैं क़ातिल

जो नज़र से लगा लें तो / (अक़्स गर देख ले उनकी)

नज़र लग जाती है - 3


नज़र से बच के ज़रा हां। … नज़र लग जाती है


No comments:

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है  कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको  जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ    क्या ख़बर कौन से प...