नज़र से बच के ज़रा हां!! नज़र लग जाती है
कोई बेहद सी हुई बात
जब नज़र आती है
तेरे आग़ोश में आकार
और कुछ देर बहला कर
तुझको बेहोश कहला कर
वो सरक जाती है
नज़र से बच के ज़रा ......
कोई हमदम नहीं तो क्या
कोई मेहरम नहीं तो क्या
सांस ज़िंदा तुझे रखने
तो चली आती है
नज़र से बच के ज़रा ......
कुछ यहां छुप नहीं सकता
तू छुपा कुछ नहीं सकता
मुश्क सौ तालों में तो क्या
वो महक जाती है
नज़र से बच के ज़रा ......
मैंने देखे हैं ऐसे दिल
लगते हमदर्द हैं क़ातिल
जो नज़र से लगा लें तो / (अक़्स गर देख ले उनकी)
नज़र लग जाती है - 3
नज़र से बच के ज़रा हां। … नज़र लग जाती है
No comments:
Post a Comment