Tuesday, February 13, 2024

मिलेंगे

बोहत शोर है यहाँ, कहाँ सन्नाटे मिलेंगे 
फूलों की ख़ाहिशों में, यहाँ कांटे मिलेंगे 

रुलाते मिलेंगे, मुस्कुराते मिलेंगे 
तुझे नींद के मसीहा भी जगाते मिलेंगे 

दावों की क़तारों में, तुझे घाटे मिलेंगे 
हटाते मिलेंगे, तुझे भुलाते मिलेंगे 

तू टूट जाए ऐसे, तुझे दावे मिलेंगे 
हमदर्द तेरे हँसते, और हंसाते मिलेंगे 

ये दुनिया है भई दुनिया, यहाँ सारे मिलेंगे 
कुछ आते मिलेंगे, तो कुछ जाते मिलेंगे 

ए दोस्त, चल कभी तो तुझसे, आके मिलेंगे 
घडी के कांटे मिलेंगे, हम मिलाते मिलेंगे 

No comments:

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है  कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको  जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ    क्या ख़बर कौन से प...