लो आ गया, लो आ गया मौसम
प्यार की तरह छा गया मौसम
कितने अर्से से बाट देखी थी
दिल में ठंडक दिला गया मौसम
बात बनती न थी न आने से
बात बनती न थी न जाने से
आने जाने की उलझनों में ही
घाव कितने भुला गया मौसम
लो आ गया लो आ गया मौसम
बाग़ बिखरे खिला गया मौसम
फूल की खुशबुएँ बिखेर यहाँ
दिल की धड़कन बढ़ा गया मौसम
जब न आया था याद आती थी
कितने मंसूबे ये बनाती थी
ये है मेहमान कुछ महीनों का
फिर कोई आएगा नया मौसम
लो आ गया लो आ गया मौसम
याद किसकी दिला गया मौसम
आँख से आंसुओं ने बारिश की
हँसके आया, रुला गया मौसम
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