इक कहानी थी
इक फ़साना था
कुछ हक़ीक़त थी
कुछ निभाना था
हाथों से खत लिखते थे तब
वो भी क्या ज़माना था
दूर कहीं यादों की गली में
कोई तेरा दीवाना था
नदी किनारे बैठ के तुमको
नग़मा ये सुनाना था
धड़कन ये थमती ही नहीं है
आँखों से ये बताना था
एक छतरी थी वो भी टूटी
उसका तो बस बहाना था
मुझको सावन की बारिश में
तेरे संग नहाना था
प्यार का वादा करते थे तुम
देर से मिलने आना था
देर से आकर जल्दी जाना
ऐसे मुझको सताना था
इक कहानी थी
इक फ़साना था
कुछ हक़ीक़त थी
कुछ निभाना था
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