wo door door hi rehte hain aur kehte hain
वो दूर-दूर ही रहते हैं और कहते हैं |
ke ham suroor ke matlab se pyar karte hain
के हम सुरूर के मतलब से प्यार करते हैं ||
koi nikaal de seenay se mere is dil ko
कोई निकाल दे सीने से मेरे इस दिल को |
aur phir dekh le ham kaise unpe marte hain
और फिर देख ले हम कैसे उनपे मरते हैं ||
This page contains poetries and ghazals created by me at different times in my life.
Tuesday, November 23, 2010
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लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )
उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ क्या ख़बर कौन से प...
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कैसी उलझन में हूँ तेरी याद ही नहीं आती तू ख़यालों से मेरे क्यों कभी नहीं जाती प्यार कितना करूँ के दिल ही नहीं भरता मेरा अब तो उकता गया ...
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सितारों से पूछा था इक दिन किसी ने के क्यूँ आसमानों में यूँ तैरते हो सितारों ने पूछा उसे ही पलट कर ज़मीं पे हो फिर भी ये क्या घूरते हो? किस...
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कहीं तो ले चलो ख़याल मेरे कोई न ले जहां बयान मेरे ऐसा भी तो कोई मंज़र हो जवाब उनके हों सवाल मेरे किन चराग़ों की बात करते हो ये नहीं ये नही...