Friday, June 24, 2016

नाम जपन अब छोड़

दुनिया में कुछ कर ले बन्दे
नाम जपन अब छोड़
नाम जपन ही करना था तो
क्यों आया इस ऒर ... रे बन्दे
नाम जपन अब छोड़

क्या है पैसा मैल हाथ का
क्या है शोहरत और साथ क्या
एक दिन समझेगा सचमुच ही
जाना है सब छोड़ ... रे बन्दे
नाम जपन अब छोड़

कितना काम पड़ा है जग में
तुझसे आशा बाँधी रब ने
थोडा ध्यान इधर भी कर ले
थोडा कर ले गौर ... रे बन्दे
नाम जपन अब छोड़

भजन तमाशा लोक लाज सब
धरम करम है बे-ईमान अब
निकल जा इस जंजाल जाल से
खोटी है ये होड़। ... रे बन्दे
नाम जपन अब छोड़


खुद से सोच कहेगा क्या तू
अपना खाता बांचेगा जब
किया है क्या और करना क्या था
जाएगा जब छोड़ ... रे बन्दे
नाम जपन अब छोड़

गाँव को गाँव रहने दो

ये दौलत की, दौड़ जो है, इसे शहरों में रहने दो |
कभी मिलने जो घर आओ दोस्त को यार कहने दो ||
फिरंगी चाल ढालों को घर तलक लेके जाते हो |
खुदा के वास्ते यारों गाँव को गाँव रहने दो ||

ये गाँव है जहाँ तेरी तबीयत पूछी जाती है |
कोई गलियों में मिलता है तो बेशक छींक आती है ||
बहाने से इसी यारों को मिलके बात करने दो |
खुदा के वास्ते यारों गाँव को गाँव रहने दो ||

शेहेर की गोरियाँ बेहद सभी को रास आती हैं |
मगर घर पे जो होती है वो माँ रोटी खिलाती है ||
शेहेर की गोरियों को तो शेहेर में वास करने दो |
खुदा के वास्ते यारों गाँव को गाँव रहने दो ||

कभी पहचानते थे लोग हमारे वालीदों को भी |
हमें अब जानते हैं लोग महज़ एक फ्लैट नंबर से ||
इमारतबाज़ कहते हैं के अब कोठी भी ढहने दो |
खुदा के वास्ते यारों गाँव को गाँव रहने दो ||

Thursday, June 23, 2016

तेरी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है ( एक नज़्म )

तेरी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है 
कितनी प्यारी सी तेरी तस्वीर मिली है मुझको 
जी में आता है के सारे वो लम्हे जी भर लूं  
क्या खबर कौन से पल ये नज़ारा छिन जाए 

तुम बिछड़ते नहीं तो आज ये दिन ना मिलता 
तेरी यादों के इस सुहाने पल को जीने का 
तुम बिछड़ते नहीं तो ख़ाब में आते भी नहीं 
चलो अच्छा ही हुआ के तुम बिछड़ गए मुझसे 

कौन से तीर मार डाले मिल के लोगों ने 
हम तो खुश हैं बिछड़ के भी आज दिलबर से 
जी में आता है के तू आ के अभी मिल मुझसे 
पर तू रहने दे ख्यालों के सफर में खुद को 

क्या ये होगा भी कभी तुम ही चल के आओगे 
दर पे दस्तक सी करोगे या चले जाओगे  
जी मचलता है यही सोचकर जो आये तुम 
क्या कोई बात बची भी है तुमसे कहने को 

तुझको शायद से मेरे एहसास का पता भी नहीं 
तू जो खुश है तो मेरा दिल ख़ुशी में डूबा है 
मैंने बरसों के बाद जाने क्यों इन दराज़ों से 
तेरी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है

लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )

उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है  कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको  जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ    क्या ख़बर कौन से प...