माना बिखर गए थे पर फिर भी संभल गए ।
इंसान हम वही रहे बस दिल बदल गए ॥
आये थे पत्थरों की बात करने जो विवेक ।
वो मोम की तरह से क्यों जाने पिघल गए ॥
कुछ इस तरह से बेवफाइयों बाढ़ थी ।
के सच के ज़मीदार भी बेहद फ़िसल गए ॥
बैठे रहे पलकें बिछा के कब से देर तक ।
उनकी जो एक झलक मिली तो दिल मचल गए ॥
अब मानसून के लिए बढ़ती हैं कीमतें ।
उनको जो तख़्त मिल गया मौसम बदल गए ॥
इंसान हम वही रहे बस दिल बदल गए ॥
आये थे पत्थरों की बात करने जो विवेक ।
वो मोम की तरह से क्यों जाने पिघल गए ॥
कुछ इस तरह से बेवफाइयों बाढ़ थी ।
के सच के ज़मीदार भी बेहद फ़िसल गए ॥
बैठे रहे पलकें बिछा के कब से देर तक ।
उनकी जो एक झलक मिली तो दिल मचल गए ॥
अब मानसून के लिए बढ़ती हैं कीमतें ।
उनको जो तख़्त मिल गया मौसम बदल गए ॥