Monday, June 16, 2014

कोई जुर्म तो नहीं किया (Koi jurm to nahi kiya)

तुझसे नहीं है कहा मगर
कोई जुर्म तो नहीं किया
कितनों को ही है मना किया
कोई जुर्म तो नहीं किया

एक रुख किया कहे लफ्ज़ दो
ज़रा मुस्कुराने के वास्ते
मुझे हँसते हँसते रुला दिया
कोई जुर्म तो नहीं किया

किसने हैं काटे दरख़्त वो
जिनको सुनाई थी दास्तान
उसपर लिखा तेरा नाम था
कोई जुर्म तो नहीं किया

ये जो क़र्ज़ है तेरे सर चढा
तेरा मर्ज़ है यही जान ले
तुझे दे रहा हूँ नसीहतें
कोई जुर्म तो नहीं किया

मेरे लब पे आये थे लफ्ज़ भी
जो संभाल रखे थे अब तलक
तुझे मिल के भी न बता सका
कोई जुर्म तो नहीं किया

वो जो बैठे हैं कहीं दूर पे
उन्हें याद मेरी है आ रही
उन्हें याद मैंने जो कर लिया
कोई जुर्म तो नहीं किया

तुझसे नहीं है कहा मगर
कोई जुर्म तो नहीं किया
कितनों को ही है मना किया
कोई जुर्म तो नहीं किया

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  Tujhse nahi hai kaha magar
Koi jurm to nahi kiya
Kitno ko hi hai mana kiya
Koi jurm to nahi kiya

Ek rukh kiya kahe lafz do
Zara muskurane ke waaste
Mujhe haste haste rula dia
Koi jurm to nahi kiya

Kisne hain kaate darakht wo
Jinko sunayi thi daasataan
Uspar likha tera naam tha
Koi jurm to nahi kiya

Ye jo karz hai tere sar chadha
Tera marz hai yahi jaan le
Tujhe de raha hoon naseehatein
Koi jurm to nahi kiya

Mere lab pe aaye thay lafz bhi
Jo sambhaal rakhe the ab talak
Tujhe mil ke bhi na bata saka
Koi jurm to nahi kiya

Wo jo baithe hai kahin door pe
Unhe yaad meri hai aa rahi
Unhe yaad maine jo kar liya
Koi jurm to nahi kiya

Tujhse nahi hai kaha magar
Koi jurm to nahi kiya
Kitno ko hi hai mana kiya
Koi jurm to nahi kiya

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