प्यार वों करते हैं हमसे मगर नहीं कहते
उनको डर है के हम मिलकर जुदा न हो जाएँ
हमने सोना तो कब का छोड़ दिया इस डर से
के वो खाबों में भी आकर जुदा न हो जाएँ
Pyar wo kartay hain hamsay magar nahin kehte
Unko dar hai ke ham milkar judaa na ho jaayen
Hamne sona to kab ka chhod dia is dar say
Ke wo khaabon me bhi aakar judaa na ho jaayen
This page contains poetries and ghazals created by me at different times in my life.
Saturday, April 09, 2011
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लिफ़ाफ़े ( एक नज़्म )
उनकी यादों के लिफ़ाफ़े को आज खोला है कितनी प्यारी सी ये तस्वीर मिली है मुझको जी में आता है के सारे वो लम्हे फिर से जिऊँ क्या ख़बर कौन से प...
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कहीं तो ले चलो ख़याल मेरे कोई न ले जहां बयान मेरे ऐसा भी तो कोई मंज़र हो जवाब उनके हों सवाल मेरे किन चराग़ों की बात करते हो ये नहीं ये नही...