दौड़ती भागती देख दुनिया है ये
क्या ख़ुदा ने बनाई थी दुनिया यही
इक सुनहरी क़फ़स है ये दुनिया जहाँ
दौड़ते हैं सभी कुछ भी हासिल नहीं
और क्या चाहिए ये समझता नहीं
इक नशा सा है ये कोई ज़रुरत नहीं
खुद के ही वास्ते एक पल तो दिला
देख शीशा ज़रा तुझसे कहता है क्या
सांस छोड़ेंगे तब जब के ली हो कभी
वक़्त मिलता नहीं सांस लेने को भी
ये समझ में नहीं आता है अब हमें
कितनी दुश्वारियां और झेलें अभी
नींद बिस्तर पे खुद से ही सो जाती है
अब उसे मेरे दामन की हसरत नहीं
तू भी इक दिन समझ जायेगा अस्लियत
सब तो रह जाएगा एक दिन बस यहीं
दौड़ती भागती देख दुनिया है ये
क्या ख़ुदा ने बनाई थी दुनिया यही
daudi bhaagti dekh duniya hai ye
kya khuda ne banai thi duniya yahi
ek sunehri qafas hai ye duniya jahan
daudte hain sabhi kuchh bhi haasil nahi
aur kya chahiye ye samajhta nahi
ek nasha sa hai ye koi zaroorat nahi
khud ke hi waaste ek pal to dila
dekh sheesha zara tujhse kehta hai kya
saans chhodenge tab jab ke li ho kabhi
waqt milta nahi saans lene ko bhi
ye samajh me nahi aata hai ab hame
kitni dushwaariyan aur jhelen abhi
neend bistar pe khud hi se so jaati hai
ab usay mere daaman ki hasrat nahi
tu bhi ek din samajh jayega asliyat
sab to reh jaayega ek din bas yahin
daudi bhaagti dekh duniya hai ye
kya khuda ne banai thi duniya yahi
This page contains poetries and ghazals created by me at different times in my life.
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